पिछले महीने प्रकाशित हुए इस लेख के भाग-1 में हमने उन सभी प्रक्रियाओं के बारे में चर्चा की जीसे कोई भी कंपनी में निवेश करते समय LIC को अनुसरण करना पड़ता हैं। हमने यह देख़ा कि किसी भी बीमा कंपनी के लिए इन प्रक्रियाओं को दरकिनार करना कैसे असंभव है। हमने यह भी देखा कि LIC अपनी बेमिसाल धारण क्षमता और सौदेबाजी की शक्ति के जरिए मुद्रा बाजार (Money Market) पर किस तरह से राज करती है। हमने यह भी देखा कि जब LIC ने ONGC को खरीदा था तब मीडिया ने जनता को कैसे गुमराह किया था। आज, ONGC, LIC के पोर्टफोलियो में सबसे अधिक लाभदायक स्टॉक है।
(इस लेख़ का भाग-१ पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक को क्लिक करें: https://malaychitalia.home.blog/2018/12/12/why-does-lic-invest-into-loss-making-companies-hindi-part-1/)
अब हम एक और परिदृश्य पर चर्चा करते हैं। मान लेते हैं कि, LIC बैंकिंग कारोबार में प्रवेश करना चाहती है। दरअसल, LIC अपना ख़ुद का बैंक शुरू करने में सक्षम है। लेकिन एक पूरे नए बैंक को शुरू करने के लिए एक विशाल बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। ऐसा भी संभव हैं कि इस वजह से LIC का अपना ध्यान जीवन बीमा व्यवसाय से थोड़ा बँट जाए। इसके बजाए, LIC बैंकिंग व्यवसाय में अपनी उपस्थिति बनाने के लिए मौजूदा बैंक खरीद ले तो काम आसान हो सकता हैं।
अब, क्या LIC के लिए SBI को ख़रीदना संभव है? नहीं। SBI के शेयर की किंमत बहुत ही ज्यादा हैं। इसके लिए LIC को बहुत ज्यादा पैसा लगाना पड़ेगा। बैंकिंग कारोबार में प्रवेश करने के लिए IDBI ख़रीद लेने से बढ़िया और आसान, और कोई मार्ग नहीं हो सकता। यह LIC के लिए सुनहरा अवसर हो सकता है।
श्री वॉरेन बफ़ेट का एक प्रसिद्ध बयान हैं,
“Buy good companies during their bad times!”
“अपने बुरे समय से गुज़र रही अच्छी संस्थाओं को ख़रीद लेना यह अकलमंदी हैं!”
जब श्री रतन टाटा ने कोरस (Corus Group plc, London, U.K.) खरीदा, तो वह टाटा स्टील की तुलना में 8 गुना बड़ी कंपनी थी। वह पिछले 10 वर्षों से लगातार नुकसान कर रही थी । अगर कोरस मुनाफ़ा करने वाली कंपनी होती तो शायद श्री रतन टाटा उसे ख़रीद नहीं पाते थे। टाटा ने जब जगुआर और लैंड रोवर खरीदा तब वह दोनों कम्पनियों की भी यही स्थिति थी, वे दोनों अच्छी कम्पनियाँ थी, पर वे दोनों भारी नुक्सान से गुज़र रही थी। किसी भी मीडिया ने इन सौदों के खिलाफ प्रश्न नहीं उठाया। “रतन टाटा ने निवेशकों के पैसों का दुरूपयोग किया’!! – मीडिया ने ऐसा कोई शीर्षक नहीं छापा।
मैं और एक घटना आपके साथ बाँटना चाहता हूँ। एक सुप्रभात, जब श्री रामलिंगा राजू ने सत्यम कंप्यूटर्स में अनियमितताओं की घोषणा की, तो स्टॉक एक्सचेंज में अफ़रा तफ़री मच गई। स्टॉक एक्सचेंज ने तीन बार निचला सर्किट मारा। स्टॉक एक्सचेंज को उस दिन के लिए बंद करना पड़ा। संकट के भूत ने निरंतर 3 दिनों के लिए विनिमय पर शासन किया। सत्यम का 180/- रुपये के मूल्य का शेयर गिरते हुए सिर्फ़ 3 दिनों में 24/- रुपये के मूल्य पर आ गया। LIC के पास सत्यम कंप्यूटर्स की 11% हिस्सेदारी थी। मीडिया ने फिर से LIC की आलोचना की। गौरतलब है कि यह सत्यम कंप्यूटर्स की 11% हिस्सेदारी थी जो LIC पकड़े हुए थी; LIC का 11% हिस्सा सत्यम में नहीं निवेश किया गया था। लेकिन मीडिया ने इस पर अपना नकारात्मक अभिगम ज़ारी रखा। अपनी हिस्सेदारी बचाने के लिए, LIC ने पर्दे के पीछे सरकार के साथ बातचीत शुरू कर दी और उन्हें कंपनी की नीलामी के लिए मना लिया। सत्यम कंप्यूटर्स को ख़रीद लेने के लिए LIC ने महिंद्रा के साथ बातचीत की। (उस समय, LIC महिंद्रा की भी 9% हिस्सेदारी के साथ महिंद्रा का एक प्रमुख संस्थागत धारक था)। इससे पहले, महिंद्रा का सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र (IT Sector) में कोई अनुभव नहीं था।
LIC के सक्रिय हस्तक्षेप और दक्षतापूर्ण नेतृत्व की वजह से बड़ा संकट टल गया। महिंद्रा ने सत्यम कम्प्यूटर्स को ख़रीद लिया। इस तरह टेक महिंद्रा का जन्म हुआ। सत्यम कंप्यूटर्स एक अच्छी कंपनी थी, जिसमें 60,000 कर्मचारी और अच्छे-बड़े ऑर्डर थे। 180/- रुपये के मूल्य का शेयर टेक महिंद्रा ने 58/- रुपये में ख़रीदा। आज, इस शेयर का मूल्य प्रति शेयर 704/- है। (उस समय, LIC ने भी 58/- भाव पर कुछ शेयर खरीदे थे, जो आज 704/- रुपये का मूल्यांकन दिख़ा रहा हैं। मीडिया ने उस समझौते की भी आलोचना की थी) LIC ने इस सौदे में हस्तक्षेप करके अपना पैसा बचा लिया (सत्यम में निवेशित अपनी 11% हिस्सेदारी बचा ली)। उतना ही नहीं, LIC ने देश और अर्थव्यवस्था को भी बचाया। यह दु:खद घटना अर्थव्यवस्था को बहुत बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर सकती थी।
जब भी LIC कम दर पर कुछ शेयर खरीदता है तब LIC की आलोचना करना मीडिया के लिए एक फैशन बन गया है। 180/- रुपये के मूल्य के शेयर अगर 58/- रुपये में मिल जाये तो कोई क्यों न ले? LIC ने इस समझौते की सभी बाजुओं का विचार किया होगा; जमा व उधार पहलुओं का अभ्यास किया होगा और फिर निर्णय लिया होगा। अब परिणाम आपके सामने हैं।
और एक घटना आपके सामने पेश करता हूँ जिसमें LIC ने एक प्रमुख भूमिका निभाई। धीरूभाई के निधन के बाद, श्री मुकेश अंबाणी और श्री अनिल अंबाणी के बीच विवाद हुआ, जो काफी लंबे समय तक चला। अचानक एक दिन प्रेस-नोट आया कि “कोकिलाबेन अंबाणी के हस्तक्षेप से विवाद का सुखद अंत हुआ” जब विवाद इतने लंबे समय तक चला तब वे कहाँ थी? क्या वह हिमालय चली गई थी?! वह पहले भी इस मामले को हल कर सकती थी! वह LIC था जिसने उन्हें टेबल पर बैठने और मामलों को सुलझाने के लिए अपने भारी वज़न का इस्तेमाल किया। एक परिवार के आतंरिक विवाद की प्रक्रिया में दिन-प्रतिदिन लोगों के पैसों का भारी नुकसान हो रहा था। अंबाणीयों के लिए मुद्दों को सुलझाना जरुरी था अगर वे चाहते थे कि LIC उनके भविष्य के उद्यमों में साथ रहे। यह LIC की शक्ति है।
तथ्य: LIC यह IDBI को ख़रीदने वाला हैं यह ख़बर जब फ़ैल गई तो अचानक से IDBI के शेयर के मूल्य में 16% की बढ़ोतरी हो गई। यह LIC की शक्ति है। मात्र ख़बर फैलने से ही शेयर का मूल्य बढ़ने लगता हैं। लोगो का कितना विश्वास सम्पादित किया होगा LIC ने !
हम सभी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। प्रत्येक फंड 100 से 150 शेयरों में निवेश करता है। उनमें से कुछ 18% CAGR (Compounding Annual Growth Rate) देते हैं, उनमें से कुछ फंड नुकसान भी करते हैं। क्या हम फंड मैनेजर से पूछते हैं “आप नुकसान देने वाले स्टॉक में निवेश क्यों करते हैं? 18% CAGR देने वाले स्टॉक में पूरी तरह से निवेश क्यों नहीं करते हैं? “वास्तव में यही तो एक निधि-प्रबंधक (fund manager) का काम हैं । ख़रीदे हुए कुछ माल पर वह अत्याधिक मुनाफ़ा कमा लेता हैं जब कि कुछ माल पर उसको नुक्सान भी भुगतना पड़ता हैं । लेकिन शेयरों को चुनने के लिए उसके पास कुछ प्रक्रियाएं होती हैं। वह अपनी आंखें बंद करके शेयरों को जंगली ढंग से नहीं उठाता।
पिछले साल LIC ने 35,000 करोड़ रुपये के परिसंपत्ति आधार (Asset base) के साथ शेयरों पर 16,000 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा कमाया था। क्या आपको लगता है कि करीब 50% लाभ अनुपात (Profit ratio) अच्छा प्रदर्शन है? सिर्फ़ अच्छा नहीं, यह लाजवाब प्रदर्शन हैं। यह LIC की शक्ति है। यह मुनाफ़े में ONGC, NTPC, BHEL, Hindustan Aeronautics Ltd. आदि जैसे सौदों में मीडिया द्वारा कि गई सभी आलोचना शामिल है।
IL & FS एक अच्छी कंपनी है लेकिन हाल ही में भारी नकदी की कमी से गुज़र रही हैं। यदि उसे तरलता प्रदान की जाए तो फ़िर से वह उभरके ऊपर आ जायेगा। LIC कभी IL & FS डूबने नहीं देगा। क्या सरकारी दबाव के कारण? बिल्कुल नहीं। LIC अपना पैसा बचाना चाहता है। LIC यह IL & FS में एक प्रमुख संस्थागत धारक है। LIC शायद IL & FS और उसके दूसरे निवेशकों के बारे में इतना चिंतित न भी हो, लेकिन LIC निश्चित रूप से अपने पैसे के बारे में चिंतित है जिसे IL & FS में निवेश किया गया हैं। LIC निश्चित रूप से उसे बचाने के लिए कई उपायों के साथ बाहर आएगा, और वे गतिविधियां लाभदायक भी होंगी।
शेयर बाजार में LIC का निवेश 4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। अगर सूचकांक (Index) गिरना शुरू हो जाता है, तो उसे रोकने के लिए LIC को विभिन्न उपाय करने पड़ते हैं, अन्यथा वह घातक साबित हो सकता है। एक और 300 करोड़ रुपये निवेश करके, अगर मैं अपने 4 लाख करोड़ रुपये को बचा सकता हूँ तो मैं ऐसा क्यों न करू?
यहाँ, LIC को दोहरी भूमिका निभानी पड़ती हैं। कभी-कभी वह एक विशेष स्टॉक पर अधिक मुनाफ़े की संभावना को जानकर उसमें निवेश करता हैं, कभी-कभी वह पहले से निवेश किए गए अपने पैसों को बचाने के लिए अधिक पैसा पंप करता है। चलिए मान लेते हैं कि LIC, IDBI को नहीं बचाता है, और IDBI डूब जाता हैं; तो परिणाम क्या होगा? भारतीय अर्थव्यवस्था का क्या होगा? विश्व बाजार में, भारत की पूरी रेटिंग नीचे आ जाएगी। कोई विदेशी संस्थान, विदेशी कंपनी या व्यक्ति भारत में निवेश नहीं करेंगे। कोई भी भारत के 10 साल के प्रतिज्ञापत्र (Bond) को मूल्य नहीं देगा। IDBI को बचाकर, LIC ने राष्ट्र को बचा लिया है। LIC के अधिकारी मीडिया के दृष्टिकोण के बारे में अच्छी तरह से अवगत हैं, फिर भी उन्होंने राष्ट्र और अर्थव्यवस्था के कल्याण में यह कदम उठाया।
तथ्य: LIC दुनिया की एकमात्र ऐसी कंपनी है जिसने 62 वर्षों तक लगातार मुनाफ़ा कमाया है! इसने कभी नुकसान की घोषणा नहीं की! यह विभिन्न सौदों के लिए मीडिया द्वारा की गई सभी आलोचनाओं के बावजूद है।
इतना ही नहीं, बाजार के माहौल बदलना, मंदी, शेयर बाजार में तेजी और संकट, रियल एस्टेट उछाल और संकट, ब्याज दरों में गिरावट, सरकारों का बदलना, राजनीतिक अस्थिरता, इन सभी घटनाओं को निगलने के बाद, LIC ने पिछले 62 वर्षों में लगातार मुनाफा कमाया है, एक वर्ष भी नुक्सान नहीं किया। LIC के पास 30,00,000 करोड़ का जीवन निधि है। इतना ही नहीं, हर दिन LIC को नकद संग्रह के माध्यम से 2,000 करोड़ रुपये मिल रहे हैं। इतनी बड़ी राशि को संभालना क्या मज़ाक हैं? लोगों ने केवल 500 करोड़ निधि को संभालने के दौरान अपने हाथ जला दिए हैं। इस विशाल राशि का आवंटन (allocation) करना एक बड़ा काम हैं । बीच बीच में, परिपक्वता दावों का भुगतान किया जाता है, मृत्यु के दावों का भुगतान किया जाता हैं, भविष्य के दावों के लिए प्रावधान करना, आकस्मिक प्रावधान और अन्य भंडार, बोनस वितरित करना, इन सभी कार्यों को न्याय भी दिया जाना चाहिए। यदि रिज़र्व पर्याप्त नहीं रखा जाता है, तो यह नकदी-प्रवाह संकट ला सकता है, अगर रिज़र्व इष्टतम से अधिक किए जाते हैं, तो अपनी निवेश आमदनी गँवानेका जोखिम हैं, जो मुनाफ़े को कम कर सकता हैं। आपको बताते हुए बड़ा गर्व महसूस होता हैं कि, LIC अपना काम अतिउत्कॄष्ट तरीके से कर रही हैं। अगर कोई सोचता है कि वह इसे बेहतर तरीके से कर सकता है, तो वे सही हो सकते हैं; लेकिन यह भी कोई खराब प्रदर्शन नहीं है।
तथ्य: बीमा अधिनियम 1938 की धारा 27 के अनुसार, LIC को अपने जीवन कोष (Life Fund) के 25% की सीमा तक इक्विटी में निवेश करने की अनुमति है। लेकिन LIC ने अपनी ख़ुद की सीमा तय की है। इसने अपने जीवन कोष (Life Fund) के 20% से अधिक शेयर बाजार में अपने जोखिम में कभी वृद्धि नहीं की है। वर्तमान में यह तक़रीबन 19% स्तर पर काम कर रहा है।
मीडिया द्वारा एक और आरोप था, LIC जिस किसी कंपनी में प्रमुख शेयर धारक हैं, उसमें अपनी कमांडिंग स्थिति (Commanding position) नहीं लेता। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि LIC की उन सभी बोर्डों में सक्रिय उपस्थिति है, जिसमें LIC हिस्सेदारी रखती है। LIC ने उन कंपनियों के लिए अपना कार्यकारी निदेशक (Executive Director) नियुक्त नहीं करने की वजह हैं सम्बंधित क्षेत्रों में LIC का अनुभव और विशेषज्ञता का अभाव। लेकिन LIC की हर एक बोर्ड में सक्रिय उपस्थिति है।
रेलवे बॉण्ड में LIC का निवेश : LIC पर एक और आरोप है कि उसने सरकारी दबाव में रेलवे को रुपये 1.5 लाख करोड़ दिए हैं, और LIC इस राशि को फिर से हासिल नहीं कर पाएगा।
यहाँ मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि LIC ने रेलवे से 1.5 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड (Bonds) खरीदें हैं। यह पहली बार नहीं है जब LIC ने रेलवे को वित्त पोषित किया है। उसने अतीत में भी कई बार रेलवे को वित्त पोषित किया है और LIC ने रेलवे से इन राशियों को वसूल भी कर लिया है। यह पाठक का ध्यान आकर्षित करने के लिए हैं कि LIC ने रेलवे की इक्विटी में निवेश नहीं किया। इसलिए LIC को अपना पैसा गवाँने की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। LIC ने बॉन्ड खरीदा है और इसका समर्थन भारत सरकार द्वारा किया गया है (भारत सरकार द्वारा LIC को इस राशि की गारंटी प्राप्त हुई हैं) । इसलिए यह राशि किसी भी स्थिति में वापस आ जाएगी। इतना ही नहीं, LIC ने इन बॉन्ड को ब्याज की बहुत अच्छी दर से खरीदा है।
यदि रेलवे ने इन बॉन्ड को खुले बाजार में रखा होता तो कोई भी निवेशक उसे ख़रीद लेता था। यहां बहुत तार्किक सवाल उठता है; क्यों रेलवे ने खुले बाजार में बॉन्ड जारी नहीं किया और इसे केवल LIC को दिया? रेलवे को यह भरोसा नहीं था कि अगर वे खुले बाजार में बॉन्ड रख़ते तो वह पूरी तरह से बीक जायेगा और रेलवे को उसकी जरुरी राशि प्राप्त होगी । रेलवे अच्छी तरह से जानता था कि बाजार में केवल एक ही ऐसा खरीदार है जिसके पास पूरे बॉन्ड खरीदने और पूरी तरह से आवश्यक राशि प्रदान करने की क्षमता है; और वह LIC है। रेलवे ने LIC को ब्याज की उच्च दर की पेशकश की ताकि LIC इसे पूरी तरह से सब्सक्राइब कर सके।
दूसरी तरफ, LIC को एक अच्छे फ़ायदे वाला सौदा मिला। LIC ने इस अवसर को हासिल कर लिया। उच्च ब्याज पर धन उधार देना यह LIC के कारोबार का हिस्सा है। बड़ी परियोजनाओं को वित्त पोषित करने की LIC की मज़बूत वित्तीय-क्षमता (financial capacity) LIC को एक बेजोड़ सौदा-शक्ति (bargaining power) प्रदान करती है। LIC एकमात्र ऐसी कंपनी है जो एक समय में इतनी बड़ी राशि निकाल के दे सकती हैं। इसीलिए LIC को बॉन्ड पर उच्च ब्याज पाने का अतिरिक्त लाभ मिलता है।
यह रेलवे बॉन्ड खुले बाज़ार में बिक्री के योग्य (freely tradable) भी हैं; LIC जब चाहे उसे अच्छे दामों में बेच सकती हैं। ऐसे बॉन्ड जो भारत सरकार द्वारा प्रत्याभूत (guaranteed) हैं, और अच्छे ब्याज दरों पर मिल रहे हैं, तो यह एक दुर्लभ मौका है, और यह मौका LIC ने गवाया नहीं।
एक आरोप ऐसा है कि रेलवे घाटे में चल रहा है इसके बावजूद LIC ने रेलवे के बॉन्ड की ख़रीदी की। कंपनियों का नुक्सान में जाना यह एक सामान्य घटना है। ऐप्पल कंप्यूटर्स (Apple Computers) का मूल्यांकन आज 1 ट्रिलियन डॉलर किया जा रहा हैं। इस स्तर तक पहुँचने वाली वह दुनिया की पहली कंपनी हैं। कुछ साल पहले वह भी घाटे में चल रही थी। अगर मैं केवल मुनाफ़ा कमाने कंपनियों में निवेश करता हूं, तो यह विरोधी चयन होगा। इससे मेरी नुकसान करने की संभावनाएं काफ़ी बढ़ जाती हैं। रेलवे बॉन्ड ख़रीदना LIC के लिए एक बहुत ही लाभदायक सौदा है।
जानकारी के लिए बताना चाहता हूँ कि IRDA के दिशानिर्देशों के अनुसार, बीमा कंपनियों को अपने जीवन कोष के 5% तक NPA (Non-Performing Assets – गैर निष्पादित संपत्ति) रखने की अनुमति है। लेकिन LIC इस मामले में 2% से नीचे चल रहा है! क्या यह एक विशालकाय निगम द्वारा किया गया शानदार प्रदर्शन नहीं है?
इन सभी घटनाओं का अगर हम निष्कर्ष निकाले तो यह कह सकते हैं कि, LIC एक महान निगम है जो दिन-प्रतिदिन व्यवसाय में उच्चतम नैतिकता का पालन करता है। किसी चारित्र्यवान व्यक्ति या संस्था के ऊपर कीचड़ उछालना यह भारतीय मीडिया के लिए नई बात नहीं रही। लेकिन भारत के जागृत नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य बनता हैं कि सत्य को खोजा जाए और अगर कोई संस्था नैतिक रूप से मज़बूत हैं तो उसे हमारा नैतिक समर्थन दिया जाए व उसका यथायोग्य प्रचार किया जाए।
जय हिन्द!