Malay Chitalia

Financial Planner, MDRT(USA)

कैंसर से आगे भी जीवन हैं !

26142

लेखन व अनुवाद: मलय चित्तलिया

प्रेरणा: श्री आर. गोपीनाथ 

कैंसर का इलाज हो सकता हैं:

पिछले कुछ वर्षों में कैंसर हम सभी के लिए एक चिंता का विषय बन गया है। केवल हमारे लिए बल्कि चिकित्सा विज्ञान के लिए भी। बीमा क्षेत्र में होने के कारण, मैं ऐसे कई लोगो के संपर्क में आता हूँ जिन्हे कैंसर हुआ हैं। शोधकर्ता कहते हैं कि २०२० साल खत्म होते होते हर १० में से १ मरीज़ कैंसर का मरीज़ होगा। एक समय आएगा जब हर दो में से एक व्यक्ति को कैंसर होगा। यह बीमारी कुछ वर्षों में सबसे आम बीमारी बन जाएगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन जिस गति से कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए, हमें समय के साथ, इसका सामना करना सीखना होगा।

कैंसर से होने वाली आर्थिक असर:

कैंसर से चिकित्सा की दृष्टि से निपटने के आलावा इस से आर्थिक रूप से कैसे निपटा जाए यह भी जानना ज़रूरी हैं। कैंसर के इलाज में बहुत बड़ी रकम लगती हैं। यह मूल्य हमारी कल्पना से भी कई अधिक हैं। आम तौर पर कैंसर से जुडी सर्जरी की लिस्ट कुछ इस तरह हैं:

अच्छे अस्पताल में स्तन कैंसर की सर्जरी रु. ५ लाख से ८ लाख

अन्य कैंसर संबंधी सर्जरी रु. २० लाख से ज्यादा

अस्थि मज्जा (Bone Marrow) सर्जरी रु. ४० लाख

ऊपर दी गई क़ीमत सिर्फ एक बार सर्जरी के लिए हैं। केमोथेरपी, रेडिएशन, नैदानिक परिक्षण, कंसल्टेशन, औषधि, यह सब खर्च अलग से लगेगा।

कारगर वित्तीय आयोजना (Effective Financial Planning)

आज के समय में, एक परिवार का फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा कम से कम 25 से 30 लाख होना चाहिए। यदि हम भारत में महंगाई का विचार करते हैं जो 14% से 20% प्रति वर्ष के बीच है, तो 50 लाख का स्वास्थ्य बीमा कवर करना उचित है। एक प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट के मत अनुसार, जितना स्वस्थ्य बीमा, कंपनी देने के लिए तैयार हैं, उतनी राशि का स्वास्थ्य बीमा लेना चाहिए, उसमे बहस करे कि, “इतने बड़े स्वास्थय बीमा की क्या ज़रुरत हैं ?”

मेरी एक NRI महिला ग्राहक को ४३ वर्ष की आयु में कैंसर डिटेक्ट हुआ था। वे लगातार ६ वर्षो तक इस महाकाय रोग से लड़ती रही। कुछ महीनो पहले ही उनकी मृत्यु हुई। इन ६ वर्षो में इस बीमारी के पीछे उनका ८.५ करोड़ रुपयों का खर्च हुआ। यह रकम बहुत ही बड़ी हैं। वे इस खर्च को झेल पाई क्योंकी उनके पास पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा था।

लेकिन कुछ ऐसे भी खर्च हैं जिन्हे स्वास्थ्य बीमा कवर नहीं करता:

  • नॉन मेडिकल खर्च जैसे कि IV fluids और gloves

  • आने जाने के खर्च (Transportation cost) व खाने के खर्च (Food cost)

  • सरकार के द्वारा लगाए हुए विभिन्न कर

यह सभी खर्च स्वस्थ्य बीमा भले ही कवर न करता हो, किन्तु हमारी जेब से तो जाते ही हैं। कभीकभी, विशेषज्ञ सर्जन (specialist surgeon) हद से ज्यादा फीस लेते हैं, जो आमतौर पर स्वास्थ्य बीमा कंपनियों का कहना है कि वे उचितनहीं हैं और उसे क्लेम में से काट दिया जाता हैं! कैंसर एक जानलेवा बीमारी होने के कारण, हो सकता हैं कुछ मरीज़ या उनके रिश्तेदार अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया जा कर उनका इलाज करवाना चाहे क्योंकी वे मरीज़ की जान के साथ कोईं जोख़िम लेना नहीं चाहते। लेकिन स्वास्थ्य बीमा भारत से बाहर इलाज की लागत को कवर नहीं करता है।

इसके अलावा, स्वस्थ्य बीमा सिर्फ मरीज़ से जुड़े खर्च ही कवर करता हैं; किन्तु कैंसर एक महारोग होने के कारण मरीज़ के साथ कोई भी एक प्रियजन को भी अपने व्यवसाय से ६ या ८ महीने की छुट्टी लेनी पड़ती हैं। मरीज़ को यह प्रियजन के भावनात्मक सहारे की ज़रुरत पड़ती हैं। इसका मतलब हैं परिवार एक साथ दो आमदनी गवाँता हैं, एक मरीज़ की और दूसरी प्रियजन की। इलाज का खर्च तो शायद स्वस्थ्य बीमा उठा लेगा फिर भी परिवार को एक अतिरिक्त आर्थिक सहारे की जरूरत होती हैं।

पैसो का प्रवाह सुनिश्चित करना

मरीज़ के लिए रेडिएशन और कीमोथेरपी बहुत दर्दनाक प्रक्रियाएं हैं। उसे अपने परिवार के भावनात्मक सहारे की ज़रुरत होती हैं। अगर मरीज़ के पास कैंसर कवर पॉलिसी होती हैं तो पैसों को लेकर परिवार बहुत ही निश्चिंत हो जाता हैं। जब परिवार का कोई सदस्य कैंसर से पीड़ित होता हैं तो पूरे परिवार को बहुत सारे मोर्चो पर जंग लड़नी पड़ती हैं। मरीज़ का अच्छे से अच्छा इलाज हो यह तो बस एक बात हैं; मरीज़ को और परिवार के बाकी सदस्यों को मानसिक रूप से मज़बूत रखना यह दूसरी बात हैं। इतना ही नहीं समय समय पर पैसों का बंदोबस्त करना यह भी तो एक चुनौती हैं।

इस से यह समझ में आता हैं कि, आज के युग में सिर्फ मेडिक्लेम का होना पर्याप्त नहीं हैं; हमारे पास Assurance based policy होना भी उतना ही ज़रूरी हैं।

यह Assurance based policy क्या होती हैं? आइये इसे व्यवस्थित रूप से समझते हैं।

Risk Management की २ रणनिति होती हैं: Insurance और Assurance.

Insurance Policy: यह पॉलिसी मरीज़ के वास्तविक खर्च की भरपाई करती हैं। उदहारण के तौर पर, अगर किसी ने १० लाख की मेडिक्लेम पॉलिसी ली हुई हैं और उसका अस्पताल का खर्च लाख रुपये आता हैं, तो कंपनी उसे सिर्फ लाख का क्लेम का भुगतान करती हैं। आम तौर पर सभी जनरल इंश्योरेंस के प्रोडक्ट्स, इंश्योरेंस बेस्ड पॉलिसी की केटेगरी में आते हैं। इस प्रकार की पॉलिसी के तहत क्लेम का भुगतान नुक्सान की राशि पर निर्भर करता हैं।

Assurance Policy: इस प्रकार की पॉलिसी के तहत क्लेम का भुगतान, घटना के ऊपर निर्भर करता हैं। कोई एक निश्चित घटना घटने पर पूरी निर्धारित रकम का भुगतान कंपनी द्वारा हो जाता हैं। नुक्सान की मात्रा पर यह पॉलिसी निर्भर नहीं करती। जीवन बीमा और क्रिटिकल इलनेस बीमा, यह एश्योरेन्स पॉलिसी के सबसे उमदा उदाहरण हैं। अगर किसी ने १ करोड़ का जीवन बीमा लिया हैं और दुर्भाग्य से उसकी मृत्यु होती हैं तो कंपनी उसे पूरे १ करोड़ का क्लेम का भुगतान कर देती हैं। उसी तरह अगर किसी ने ५० लाख की कैंसर पॉलिसी ली हैं, और उसे कैंसर निदान होता हैं तो उसे पूरे ५० लाख रुपये कंपनी से मिल जाते हैं। इलाज का खर्च कितना हुआ हैं, खर्च हुआ हैं कि नहीं उस से कोई लेना देना नहीं। जिस घटना के लिए पॉलिसी ली हैं, वह घटना घटी, तो पूरे सम अश्योर्ड का भुगतान कंपनी को करना पड़ता हैं। खर्च की रकम या नुकसान की रकम के साथ कोई संबंध नहीं।

अगर पॉलिसी धारक के पास एक से ज्यादा क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी हैं तो उसे सभी पॉलिसी से निर्धारित रकम क्लेम के तौर पर मिल जाती हैं। किन्तु अगर पॉलिसी धारक के पास एक से ज्यादा स्वास्थ्य बीमा की पॉलिसी हैं तो उसे सिर्फ खर्च की रकम या तो ज्यादा से ज्यादा सम इन्स्योर्ड की राशि तक का क्लेम उसे मिलता हैं। मार्केट में कैंसर की स्पेशल पॉलिसी और क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी मामूली प्रीमियम दर पर मिलती हैं।

कैंसर यह जीवन को जगजोर देने वाला एक रोग हैं। कैंसर के मरीज़ के लिए दुनिया पहले जैसी नहीं रहती। परिवार के किसी भी सदस्य को यह रोग लागू होने के बाद, जीवन को सामान्य स्थिति में लाना बहुत मुश्किल हैं। किन्तु सही प्रकार से किया हुआ वित्तीय आयोजन (financial planning) इस महारोग की असर को कम करने में हमारी मदत करता हैं और ऐसी विपत्ति के काल में बेहद ज़रूरी ऐसा मानसिक स्वास्थ्य हमें प्रदान करता हैं।

बीमा एक मात्र ऐसी वस्तु हैं जिसकी ज़रुरत न होने पर भी उसे लेना चाहिए। जब इसकी आपको ज़रुरत पड़ेगी तब यह मिलेगा नहीं। बीमा तब लेना होता हैं जब आप स्वस्थ हो, बीमार लोगो को कंपनी बीमा नहीं देती।

आप स्वस्थ रहे, समृद्ध रहे और आनंदमय रहे ऐसी शुभकामना !

Share the Post:

About Author

Malay Chitalia is an internationally accredited financial advisor with deep local roots. As an MDRT-qualified financial planner, he is part of an elite group of global professionals. With two decades of prolific experience in financial planning advisory, Malay manages an impressive 100 Crores+ AUM for his 2000+ valued clients across India and countries like the US, UK, UAE, Oman, Hong Kong, Australia, New Zealand, and more. Residing in Mumbai with his family, he operates from his firm’s headquarters in Borivali, Mumbai.

Comment/Leave a Reply

error: Content is protected !!